देश के विकाश का पैमाना शेयर बाजार नहीं हो सकता .
इस समय पूरी दुनिया में शेयर बाजार को विकाश के पैमाने के रूप में देखा जाता हैं | जबकि शेयर बाजार सीधे तौर पर दुनिया भर में सट्टा के रूप में बिकसित हो रहा है | शेयर बाजार उन कम्पनिओं के शेयर का सौदा करता जो कि सेवी में पंजीकृत हैं| और उनकी बाजार में मुनाफा कमाने की इस्थिति कैसी है वही मुनाफा शेयर का बाजार भाव तय करता है | पर इस समय कंपनियों के शेयर की कीमत सटोरिये तय करते हैं जिससे कंपनियों कि इस्थिति का पता नही चल पता तो देश के आर्थिक विकाश की इस्थिति का आकलन कैसे पता चलेगा | बीते एक बर्ष के अन्दर शेयर बाजार २२ हजार से ८ हजार पर गिरा और अब फिर २० हजार के उपर जबकि सेवी में पंजीकृत कंपनियों के मुनाफे कोई बड़ा फेर बदल नही हुआ |
एक सर्वे के अनुसार शेर बाजार में देश की कुल आबादी का १.५% हिस्सा ही महज २ करोड़ आबादी ही शेयरबाजार में रूचि लेती है |